पर्यावरण से अभिप्राय उस वातावरण से है जो हमारे चारों ओर फैलाहै।
प्रकृति में विद्यमान सभी जैविक तथा अजैविक घटक मिलकर हुआ
पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी घटक एक-दूसरे से अन्तर्सम्बन्धित होते है
तथा इनका प्रभाव सामूहिक रूप से होता है। अतः "पर्यावरण से आशय किसी स्थान विशेष में मनुष्य के आस-पास उन जैविक एवं भौतिक वस्तुओं के आवरण से है जिसके द्वारा वह घिरा रहता है।"
पर्यावरणीय कारक :-
पर्यावरणीय कारकों को दो श्रेणियों में विभक्त कर सकते हैं
(A) भौतिक या अजैविक कारक
(B) जैविक कारक
(A) भौतिक कारक
खगोल शास्त्र के अनुसार पृथ्वी को प्रमुख रूप से तीन भागों में बाँटा जा सकता है
(3) वायु मण्डल (Atmosphere)
ये सभी मण्डल (जल, स्थल तथा वायु) पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण एक-दूसरे से इस प्रकार बंधे हुए हैं कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने तथा सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में भी संतुलित रहती है। पृथ्वी को अंतरिक्ष यान (Space ship) भी कहा जाता है। पृथ्वी का वह भाग जिस पर जीवन पाया जाता है, जैवमण्डल (Bisophere) कहलाता है।
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें