● मेंडल के आनुवंशिकी नियमों का महत्वः
• इन नियमों के आधार पर संकर संतति पीढ़ी में उत्पन्न होने वाले संभावित नवीन संयोजनों एवं आवृति का पूर्व ज्ञान हो जाता है।
• सजीवों में प्रभावी एवं अप्रभावी लक्षणों का ज्ञान हो जाता है ।
• कृषि एवं पादप प्रजनन में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है। • प्राणियों एवं पौधों में अधिकांश हानिकारक एवं घातक जीन अप्रभावी होने के कारण, प्रभावी जीन की उपस्थिति में प्रकट नहीं हो पाते एवं पौधे तथा जीव की इन प्रभावों से रक्षा होती है।
• शुद्ध लक्षणों वाले पौधों एवं फसलों को विकसित किया जा सकता है। इसी प्रकार अनुपयोगी एवं हानिकारक लक्षणों को हटाया भी जा सकता है।
• भिन्न-भिन्न पौधों या जन्तुओं में पाये जाने वाले उपयोगी लक्षणों को संकरण विधि से एक ही संतति पादप या जन्तु में लाया जा सकता है।
• इन नियमों के उपयोग से रोग प्रतिरोधक तथा उच्च उत्पादन वाली फसलों एवं पालतू जन्तुओं की किस्में विकसित की जाती हैं।
• मानव जाति के आनुवंशिकीय सुधार से संबंधित विज्ञान की शाखा सुजननिकी (Eugenics) मेण्डलीय नियमों पर आधारित है।
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें