BREAKING NEWS
latest

स्थल मण्डल (Lithosphere)

 



2. स्थल मण्डल (Lithosphere) :-


स्थल मण्डल पृथ्वी का वह भाग है जिस पर हम निवास करते हैं, जिस पर पेड़-पौधे वनस्पति उगती है, जिसके अन्दर अनेक प्राकृतिक संसाधन भरे हैं और जो ठोस मिट्टी, चट्टानों और पिघले पदार्थों में पिण्ड रूप में बना है। यह पूरी पृथ्वी का 3/10 भाग है. शेष 7/10 भाग जल क्षेत्र में आता है। इस ठोस भाग की आन्तरिक रचना का अंदर का भाग 'इनर कोर' (Inner core) कहलाता है। इस भाग की मोटाई (व्यास) 1,300 किमी. है। इसके चारों ओर पिधले हुए पदार्थ का भाग जिसकी मोटाई लगभग 2,080 किमी. है तथा इसे 'आउटर कोर' (Outer core) कहते हैं। पृथ्वी की इस रचना के सबसे अंदर 'इनर कोर' (Inner core) का भाग जो ऊपर से 6.370 किमी की गहराई पर है, का तापमान 4,000 डिग्री सेन्टीग्रेड तक होता है। यह ऊँचाई के अनुसार कम होता होता ऊपर सामान्य तापमान 30°00 से 40°0 पर आ जाता है।


• स्थल मण्डल की सबसे ऊपरी सतह पर बनावट और भौगोलिक स्थिति के अनुसार स्थानों को अलग-अलग निम्नलिखित नाम दिए गए हैं


1. महाद्वीप (Continents) पृथ्वी के वह बड़े-बड़े क्षेत्र जो लगभग चारों ओर पानी से घिरे हुए हैं, महाद्वीप कहलाते हैं। एक- एक महाद्वीप में कई-कई देश हो सकते हैं। विश्व में कुल सात (एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया तथा अण्टार्कटिका) महाद्वीप हैं।


2. पहाड़ (Mountains) भू-पटल पर ऊँचे उठे हुए भागों से निर्मित चट्टानी स्थानों को पहाड़ कहते हैं। छोटी ऊँचाई वाले भाग पहाड़ी (Hills) के नाम से जाने जाते हैं। इनका ऊपरी भाग नुकीला होता है इन्हें चोटियाँ (Peaks) कहते हैं। बगल की सतहें तिरछी (Steep) खड़ी होती हैं। एवरेस्ट (Mt. Everest) तथा कंचनजंघा (Kanchan Junga) की ऊँचाई क्रमशः 8,848 तथा 8,579 मीटर है जो विश्व में सबसे ऊँची हैं।


3. मरुस्थल (Desert) भारी रेत से बने भू-भागों को मरुस्थल अथवा रेगिस्तान कहा जाता है। यहाँ पानी नितान्त न्यून होता है। अतः आबादी अथवा पेड, वनस्पति आदि नहीं होती है। सहारा (उत्तरी अफ्रीका) तथा चार ऐसे ही परुस्थल है।


4. द्वीप (Isiands)-ऐसभी ओर से पानी से घिरे होते हैं, उन्हें द्वीप कहा जाता है विश्व में अनेक द्वीप है, जैसे श्रीलंका (हिन्द महासागर), आइसलैण्ड (उत्तरी अटलाण्टिक) आदि।

« PREV
NEXT »

कोई टिप्पणी नहीं