24 चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित बेगें ठिकाने के किसानों ने अपने जागीरदार के विरुद्ध आन्दोलन शुरू किया जिसका नेतृत्व रामनारायण चौधरी ने किया। मई, 1921 ई. में बेगें ठिकाने के कर्मचारियों ने चाँदखेड़ी नामक
स्थान पर सभा में किसानों पर अमानुषिक व्यवहार किया। बिजौलिया आन्दोलन से प्रेरित बेगूँ के किसानों ने मेनाल में एकत्रित होकर लाग-बाग व लगान को न्यायपूर्ण बनाने के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया।
दो वर्षों के संघर्ष के पश्चात बेगूँ ठाकुर अनूपसिंह व किसानों के मध्य समझौता हुआ लेकिन इसे 'बोल्शेविक' की संज्ञा दी गई। सरकार ने जाँच हेतु ट्रेंच आयोग का गठन किया। 13 जुलाई, 1923 में किसानों की सभा पर सेना द्वारा लाठीचार्ज करने पर रूपाजी एवं कृपाजी धाकड़ शहीद हो गये।
* इसके पश्चात् पथिकजी इस आन्दोलन से जुड़े । आन्दोलन के कारण बन रहे दबाव के फलस्वरूप बन्दोबस्त व्यवस्था लागू कर लगान की दरें कम की एवं अधिकांश लागें वापस लीं व बेगार प्रथा समाप्त की।
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