'भौतिक रूप से मिट्टी के कणों का अपने स्थान से हटने की क्रिया से को मृदा क्षरण कहते हैं।" मृदा का पृथक्करण तथा परिवहन मृदा क्षरण कहलाता है। अधिकांश दशाओं में जल परिवहन कारक होता है लेकिन हवा भी यह कार्य करती है। "मृदा को विभिन्न क्षरण शक्तियों द्वारा बहने तथा काटने से बचाने की क्रिया को मृदा संरक्षण कहते हैं।"
मृदा क्षरण के प्रकार
1. प्राकृतिक क्षरण : वनस्पति से ढकी हुई मृदा के प्राकृतिक रूप से हवा तथा जल द्वारा लगातार और धीरे-धीरे क्षरण को प्राकृतिक क्षरण कहते हैं। यह क्षरण मृदा निर्माण तथा मृदा विनाश की क्रियाओं में सदैव साम्य रखता है। इससे कोई विशेष हानि नहीं होती क्योंकि परिवर्तन में बहुत समय लगता है। इस क्षरण को मनुष्य द्वारा नहीं रोका जा सकता है।
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2. त्वरित क्षरण : जब भूमि की वनस्पति को पशुओं द्वारा चराकर, खोदकर या जोतकर माप्त कर दिया जाता है तो भूमि वनस्पति विहीन हो जाती है।
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