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Environment पर्यावरण

 



पर्यावरण में विद्यमान तत्त्वों की मात्रा तथा गुणवत्ता में निश्चित अनुपात से अधिक अंतर आना ही पर्यावरण असंतुलन या पर्यावरण प्रदूषण है। पूरे विश्व में आज यही स्थिति है। इस कारण आज हम पर्यावरण संकट की दहलीज पर खड़े हैं। जल और वायु की गुणवत्ता की गिरावट से श्वास संबंधी और जल संक्रामक रोगों की घटनाएँ बढ़ी है। वैश्विक उष्णता और ओजोन क्षय ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। हरित गृह प्रभाव (Green House Effect):











ग्रीन हाऊस प्रभाव कुछ प्रदूषक गैसों के कारण वायुमण्डल के तापन (Heating) से सम्बन्धित है जो कि पौध घर (Green house) के भीतर वायुमण्डल के तापन के समान ही होता है। ग्रीन हाउस प्रभाव मुख्य रूप से CO, की उच्च सान्द्रता तथा कुछ प्रदूषक गैसों जैसे N, O, CO, CH, तथा CFCs के कारण होता है।



वायुमण्डल में कार्बन-डाई-ऑक्साइड (CO2) की मात्रा बहुत कम (लगभग केवल 0.03%) होती है। इसके बावजूद यह धरती के तापमान को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण है। उपरोक्त गैसें तीव्रता से वातावरण की अवरक्त किरणों को अवशोषित कर लेती हैं और उन्हें पुनः पृथ्वी पर परावर्तित कर सकती हैं। पृथ्वी की सतह पर आने वाले विकिरण वापस नहीं लौट पाते और पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है। तापमान के बढ़ने से जल का वाष्पीकरण बढ़ता है और जलवाष्प अधिक ऊष्मा अवशोषित करती है। इस प्रकार परावर्तित किरणों का कार्बन-डाई-ऑक्साइड व जलवाष्प द्वारा अवशोषण एवं पुनः परावर्तन होने के परिणामस्वरूप पृथ्वी की सतह पूर्ण तौर पर गर्म हो जाती है। इसी प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।<

 

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