मेहाजी मांगलिया इष्टदेव के रूप में पूजे जाते है।
मेहाजी पाँच पीरों में से एक 1 मेहाजी मांगलिया के पिता का नाम गोपालराज सांखला थी।
मेहाजी का बापणी (जोधपुर) में मंदिर है। यहाँ पर भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी को मेला लगता है। • इनका जन्म सांखला क्षत्रिय परिवार में हुआ, ये राव चूड़ा के समकालीन थे।
• मेहाजी के बारे में लोक मान्यता है कि इनकी पूजा करने वाले भोपा की
वंश वृद्धि नहीं होती और वे गोद लेकर पीढ़ी चलाते है। • मेहाजी का प्रिय घोड़ा 'किरड़ कावरा' है।
• मेहाजी का सारा जीवन धर्म की रक्षा और मर्यादाओं के पालन में बीता।
• मेहाजी जैसलमेर के राव राणंगदेव भाटी से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।
● प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने लिखा है कि इनका लालन-पालन इनके ननिहाल में 'मांगलिया गोत्र' में हुआ था इसलिए 'मेहाजी मांगलिया' के नाम से प्रसिद्ध हुए जबकि अन्य शोधकर्ता 'साँखला राजपूत' मानते है।
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