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वायुमण्डल (Atmosphere)


वायुमण्डल (Atmosphere) वायुमण्डल पृथ्वी की सतह से लगभग 1,000 किमी. से भी अधिक ऊँचाई तक का वह भाग है, जिसमें विभिन्न गैसों तथा अन्य पदार्थ अलग अलग ऊँचाई तक रहते हैं। ये स्वयं अलग-अलग गोलीय-कक्ष में बँट जाते हैं जिन्हें अलग-अलग नाम दे दिये जाते हैं, जो इस प्रकार हैं-अधोमण्डल या क्षोभमंडल (Troposphere), समताप मण्डल (Stratosphere), मध्यमण्डल व ओजोन मंडल (Mesosphere or Ozonosphere), आयन मण्डल (lonosphere), और बाह्य मण्डल (Exosphere) |



क्षोभमंडल-


पृथ्वी की सतह से 18 किलोमीटर तक का वायु परत को क्षोभमंडल कहते हैं। पृथ्वी तल पर पड़ने वाले कुल वायुमंडलीय दान का तीन चौधाई इसी परत के कारण होता है। मौसम सम्बन्धी परिवर्तन यथा-आँधी तूफान का आना, जलवाष्प से बादल बनना, वर्षा होना, हवाओं का संचरण आदि इसी मंडल में होते हैं।


समताप मंडल — 


पृथ्वी तल से 18 से 32 किलोमीटर ऊँचाई वाली परत को समताप मंडल कहा जाता है क्योंकि इस परत में ताप एक समान रहता है। इसी भाग में ऊष्मा का अवशोषण तथा विकिरण लगभग समान परिमाण में होता है।


ओजोन मंडल –


 यह पृथ्वी सतह से 32 से 80 किलोमीटर वायुमंडलीय क्षेत्र है जिसमें ओजोन गैस की परत होती है जो सजीवों के लिए हानिकारक सूर्य की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है और उन्हें पृथ्वी तल तक नहीं पहुँचने देती !


आयन मंडल --- 


पृथ्वी तल से 80 से 640 किलोमीटर की वायुमंडलीय परत में आवेश युक्त कण पाये जाते हैं, अतः इसे आयन मंडल कहा जाता है। धनावेशित व ऋणावेशित आयनों के मध्य विद्युत चुम्बकीय क्रियाएँ होती रहती है जिसके परिणामस्वरूप प्रकाश व चमक उत्पन्न होता है। इस मंडल की वायु अत्यन्त विरल होती है।


बहिमंडल – 


पृथ्वी सतह से 640 किलोमीटर से अधिक ऊँचाई का क्षेत्र बहिमंडल कहलाता है जहाँ अत्यधिक विरल वायुप्रवाह पाया जाता है। वायुमण्डल के विभिन्न गैसीय पदार्थ मिलकर वायु के नाम से जाने जाते है


वायु में विभिन्न गैसों का अनुपात है -21% ऑक्सीजन, 78% नाइट्रोजन, 0.3% कार्बन डाई ऑक्साइड तथा शेष भाग में अन्य गैसें जैसे-हीलियम, नियोन, आर्गन, जेनोर, क्रिप्टन, ओजोन आदि। इन गैसों के अतिरिक्त जीवोत्पत्ति लवण (Biogenic Salt) तथा अग्नि (Fire) भी वायुमण्डल ही तत्व हैं।


पर्यावरण के उक्त अजैविक तत्व जीवधारियों के लिए विभिन्न रूपों में अति आवश्यक है या यूँ कहा जा सकता है कि इनके बिना जीवन संभव नहीं। ये जीव तत्व के पूरक हैं।


जल प्रधान पोषक पदार्थ होने के साथ-साथ जलवायु तथा मौसम को प्रभावित करता है, स्थल मण्डल, थलीय तथा जलीय प्राणियों के लिए अधिकांश खनिज मैटाबालाइट्स का एकमात्र सोत है और वायु तो प्राणदायिनी शक्ति है। अत: अजैविक तत्व जैवमण्डल की अनिवार्यता है।

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