पगड़ी :-
✓पुरुषों की पोशाक में पगड़ी राजस्थानी पहनावे का महत्वपूर्ण अंग थी। पगड़ी प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
✓यह एक सिर ढकने के लिए पहना जाने वाला वस्त्र है।
✓लड़ाई में जाते समय केसरिया पगड़ी पहनी जाती थी। पगड़ी को पाग, पेंचा, बागा या साफा भी कहा जाता था।
✓जयपुर में रंगरेज एक खास प्रकार की पगड़ी थी।
✓ पगड़ी में लाल रंग के लहरिये बने होते थे, जिन्हें राजशाही पगड़ी कहते थे
✓ रंगीन पागो में पंचरंग पाग का विशेष महत्व था जो शुभ अवसरों पर बांधी जाती थी।
✓ पंचरंग पाग में पांच रंग बहुधा नीला, पीला, हरा और लाल होता था।
✓ जयपुर में पंचरंग पगड़ी का प्रचलन राजघरानों में अधिक था।
✓ विवाह के अवसर पर मोठड़े की पगड़ी बांधी जाती थी।
✓ उदयपुर की पगड़ी चपटी होती थी तथा मारवाड़ की पगड़ी छज्जादार, खिड़कीदार एवं जयपुर की पगड़ी खूंटेदार होती थी।
✓ राजस्थान में दस गज के साफे बांधे जाते थे तथा पजांब में साढे चार गज के साफे (पगड़ी) बांधे जाते थे।
✓ सर्वाधिक प्रसिद्ध मेवाड़ी पगड़ी है। मेवाड़ में महाराणा को पगड़ी बांधने वाले व्यक्ति को छाबदार कहते है।
✓ मेवाड़ की प्रारम्भिक पगड़ी खिड़कीदार/कुल्हो पर आधारित होती थी।
✓ पगड़ी को मेवाड़ में पगड़ी व मारवाड़ में साफा कहा जाता है।
✓ जोधपुर का साफा बंधेज के लिए प्रसिद्ध है।
✓ पगड़ियों के प्रकार- अमरशाही, उदयशाही, खंजरशाही, शिवशाही. विजयशाही, जसवंतशाही, शाहजहाँनी, खसरशाही, अरजीशाही, स्वरूपशाही, चूड़ावतशाही, भीमशाही, माडपशाही, राठौड़ी मानशाही, हमीरशाही, खरमा इत्यादि ।
टोपी -
✓ 19वीं शताब्दी के द्वितीय चरण में पगड़ी व साफे के स्थान पर टोपियों का रिवाज चल पड़ा।
✓ चार टुकड़ो को जोड़कर बनाई गई टोपी चोखलिया और दो टुकड़ों की टोपी दुपलिया कहलाती थी।
✓ एक विशेष प्रकार की टोपी खांखसानुमा टोपी कहलाती थी ।
✓ यह पगड़ी की तरह सिर को ढकने वाला वस्त्र है ।
अंगरखी -
✓शरीर के ऊपरी भाग में अगंरखी पहनी जाती थी ।
✓ जिस अगंरखी के गले, कंधे और पीठ पर कढाई होती थी फरूखशाही अगंरखी कहलाती थी।
✓अगंरखी का ही उत्तरी रूप राजस्थानी अचकन है।
✓राजस्थान में छपी या बंधेज की अगंरखी पहनी जाती थी तथा लखनऊ में जामदानी वस्त्र की अगंरखी पहनी जाती थी
✓अगंरखी को बण्डी, बुगतरी व बुखतरी भी कहते है।
✓अगंरखी एक पूरी बाहों का कालर व बटन रहित चुस्त कुर्ता था | ग्रामीणों द्वारा श्वेत रंग की अगंरखी पहनी जाती थी।
✓इसमें पुरुष वर्ग काले रंग का अगंवस्त्र पहनता है जिस पर सफेद धागे से कढाई की जाती है।
चोगा -
✓अगरखी के ऊपर सम्पन्न वर्ग चुगा पहनता था। चुगा/चोगा प्राय: रेशमी, ऊनी या किमखाब का बना वस्त्र होता था। शिकारगाह के अलंकरण से बना सुन्दर चुगा भारत कला भवन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संग्रह में है।
✓दर्जी द्वारा चुगा/चोगा सिलने की कला टुकड़े पारचा कहलाती है।
✓ पंजाब में कठे हुए चुगों/चोगों का प्रचलन अधिक था।
✓ कढ़ाई किए हुए चोंगे अमृतसर के प्रसिद्ध है।
धोती -
✓धोती सामान्यतः पूजा के अवसर पर पहनी जाती थी।
✓यह पुरुषों द्वारा कमर तक पहना जाने वाला वस्त्र है जो साधारणत श्वेत रंग की होती है।
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