• मल्लीनाथ पशु मेला - यह पशु मेला तिलवाड़ा (बाड़मेर) में लगता है।
यह मेला चैत्र कृष्ण 11 से चैत्र शुक्ल 11 (अप्रेल) को लगता है।
यह पशु मेला थारपारकर नस्ल के लिए प्रसिद्ध है।
● सेवड़िया पशु मेला (चैत्र शुक्ल एकादशी) - यह पशु मेला रानीवाड़ा (जालौर) में लगता है।
यहाँ कांकरेज व मुर्रा नस्ल का क्रय-विक्रय होता है।
• गोमती सागर पशु मेला- यह पशु मेला झालरापाटन (झालावाड़) मालवी में लगता है।
यह मेला वैशाख शुक्ल 13 से ज्येष्ठ कृष्ण 5 (मई) तक लगता है।
• ब्राह्मणी माता का मेला- यह पशु मेला सोरसण (बारां) में लगता है।
यह पशु मेला गधों के मेले के रूप में प्रसिद्ध है।
• चंद्रभागा पशु मेला- यह पशु मेला झालरापाटन (झालावाड़) में लगता है।
यह पशु मेला मालवी नस्ल के लिए प्रसिद्ध है।
• महाशिवरात्री पशु मेला- यह पशु मेला करौली में फाल्गुन कृष्ण 13 को लगता है।
यह पशु मेला हरियाणवी नस्ल के लिए प्रसिद्ध है।
जसवन्त पशु मेला- यह पशु मेला भरतपुर में लगता है। यह पशु मेला हरियाणवी नस्ल के लिए प्रसिद्ध है।
यह मेला आश्विन शुक्ल 5 से 14 तक (अक्टूबर) लगता है।
• गधों का मेला- यह पशु मेला लूणियावास (जयपुर) में लगता है। यह पशु मेला गधों के लिए प्रसिद्ध है।
• गोगामेड़ी पशु मेला- यह पशु मेला गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) में लगता है।
यह पशु मेला हरियाणवी नस्ल के लिए प्रसिद्ध है। यह मेला श्रावण पूर्णिमा से भाद्र पूर्णिमा (अगस्त) तक लगता है। वलदेव पशु मेला- यह पशु मेला मेड़ता (नागौर) में लगता है।
यह पशु मेला नागौरी नस्ल के लिए प्रसिद्ध है।
यह मेला चैत्र शुक्ल 1 से पूर्णिमा तक (अप्रेल) तक लगता है।
• वीर तेजा पशु मेला- यह पशु मेला परवतसर (नागौर) में लगता है। यह पशु मेला नागौरी नस्ल के लिए प्रसिद्ध है।
यह मेला श्रावण पूर्णिमा से भाद्र अमावस्या (अगस्त) तक लगता
• रामदेव पशु मेला- यह पशु मेला मानसर (नागौर) में लगता है।
यह पशु मेला नागौरी नस्ल के लिए प्रसिद्ध है।
यह मेला मार्ग शुक्ल 1 से माघ पूर्णिमा (फरवरी) तक लगता
• आमेट का पशु मेला- यह मेला आमेट (राजसमंद) में आश्विन शुक्ल 11 लगता है।
● पुष्कर पशु मेला - यह पशु मेला पुष्कर (अजमेर) में लगता है।
यह पशु मेला गिर नस्ल के लिए प्रसिद्ध है। यह मेला कार्तिक शुक्ल 5 से मार्गशीर्ष 2 (नवम्बर) तक लगता है।
• राजस्थान में सर्वाधिक पशु मेले नागौर में आयोजित किये जाते है।
राजस्थान में आमदनी की दृष्टि से वीर तेजा जी पशु मेला सबसे बड़ा मेला माना जाता है।
राज्य का सबसे प्राचीनतम पशु मेला मल्लीनाथ पशु मेला है। जो लूणी नदी के किनारे पर लगता है।
• राज्य का सबसे लम्बा पशु गोगामेड़ी पशु मेला नोहर, हनुमानगढ़ लगता है।
● राज्य में धार्मिक दृष्टि से सर्वाधिक मेले डूंगरपुर (21) में लगते है।
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